एकता की भावना-हिंदी कविता
एकता की भावना-हिंदी कविता क्षेत्रीयता की बड़ी आग में,राष्ट्रीय भावना बनी रहे।देश एक है, राष्ट्र एक हैधुन ये हमारी बनी…
एकता की भावना-हिंदी कविता क्षेत्रीयता की बड़ी आग में,राष्ट्रीय भावना बनी रहे।देश एक है, राष्ट्र एक हैधुन ये हमारी बनी…
मंदी-प्रभाव -हिंदी कविता महगाई की बड़ी आग में ,मंदी ने भी ली अंगड़ाई |टूटे सपने घटती आय, जनता रोती हाय…
भारत की शान तिरंगा – हिंदी कविता आजादी की शान तिरंगा,भारत की है जान तिरंगा।एकता की पहचान दिखाता,हर जीवन का…
Hindi Poem - जिंदगी का संघर्ष
स्वाभिमान की रोटी | पैरो में बेड़िया है,कुछ मजबूरिया है,दिल के दर्द को समेट लिया मैंने,अपने आप को बंद कर…
दादी की वह सबसे प्यारी,बाते करती जैसी हो नानी,मम्मी की है राजकुमारी,भोली सी सूरत,परीयो की रानीप्यारी-प्यारी लाडो हमारी | पापा…
लड़का हू कमाना है छोड़ चला घर का प्यार, निकल पड़ा नंगे पाँवन कोई ठौर न ठिकाना है, बस आगे…
कमाने लगा- हिंदी कविता / Hindi Poem अच्छा हुआ कमाने लगा,रिश्तेदार, दोस्त का खबर भी आने लगा।रुख हवा का ऐसा बदला,बेरोजगार…
भारतीय रेल- हिंदी कविता हरी झंडी देख दौड़ लगाती,लाल देख रुक जाती हूछुक – छुक करते आती हू,मंजिल तक पहुँचाती हू।…
छाया जीवन में अपने पैर पर हम कुल्हाड़ी मारते जा रहे हैकाट रहे है हम उस बेजुबान कोजो हमारी सांसे…
वो समय था यार का | दोस्त तेरे साथ जिंदगी निराली थीदोस्त तेरे साथ जिंदगी निराली थीना कल की फिकर…
परदेसिया ? वो कौन है जो ,गिर गटर मेंगंध शहर का धो रहा| ऊंची इमारतों से ,प्यास किसकाबनकर पसीना बह…
मुसहरिन माँ | धूप में सूप सेधूल फटकारती मुसहरिन माँ को देखतेमहसूस किया है भूख की भयानक पीड़ाऔर सूँघा मूसकइल…
मेरे मुल्क की मीडिया | बिच्छू के बिल मेंनेवला और सर्प की सलाह परचूहों के केस की सुनवाई कर रहे…
चिहुँकती चिट्ठी | बर्फ़ का कोहरिया साड़ीठंड का देह ढंकलहरा रही है लहरों-सीस्मृतियों के डार पर| हिमालय की हवानदी में…
लकड़हारिन | तवा तटस्थ है चूल्हा उदासपटरियों पर बिखर गया है भातकूड़ादान में रोती है रोटीभूख नोचती है आँतपेट ताक…
ऊख | प्रजा कोप्रजातंत्र की मशीन में पेरने सेरस नहीं रक्त निकलता है साहब| रस तोहड्डियों को तोड़नेनसों को निचोड़ने…
मूर्तिकारिन | राजमंदिरों के महात्माओंमौन मूर्तिकार की स्त्री हूँ समय की छेनी-हथौड़ी सेस्वयं को गढ़ रही हूँ चुप्पी तोड़ रही…
ईर्ष्या की खेती| मिट्टी के मिठास को सोखजिद के ज़मीन परउगी हैइच्छाओं के ईख| खेत मेंचुपचाप चेफा छिल रही हैचरित्रऔर…
निंदा की नज़रतेज हैइच्छा के विरुद्ध भिनभिना रही हैंबाज़ार की मक्खियाँ| अभिमान की आवाज़ हैएक दिन स्पर्द्धा के साथचरित्र चखती…