परदेसिया-हिंदी कविता

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परदेसिया ?

वो कौन है जो ,
गिर गटर में
गंध शहर का धो रहा|

ऊंची इमारतों से ,
प्यास किसका
बनकर पसीना बह रहा|

वो कौन है जो ,
बोझा शहर का
कंधे पे आपने ढोह रहा|

बना आशियाना, वो शहर का
खुद सड़क पर सो रहा|

जूतों को ऐनक,
कपड़ो की रौनक|
सब्जी की मंडी
बर्फ वो ठंडी|

धुप बारिस ठण्ड में,
वो कौन है जो नींव बनकर,
किस्सा शहर का लिख रहा|

वो कौन है जो,
दिखता तो है ,
पर नहीं दिख रहा|

बिलख रहा,बच्चा वो किसका
सिसक रही,वो माँ है किसकी|
बोझा लिए,कारवां वो किसका
नम हुई वो आंखें है किसकी|

मैं कदर न तेरी कर पाया
मैं लाज न तेरी रख पाया
परदेसिया तू वापस आया |

परदेसिया हिंदी कविता

वो कौन है-हिंदी कविता

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