हिंदी कविता

एकता की भावना-हिंदी कविता

एकता की भावना-हिंदी कविता

एकता की भावना-हिंदी कविता क्षेत्रीयता की बड़ी आग में,राष्ट्रीय भावना बनी रहे।देश एक है, राष्ट्र एक हैधुन ये हमारी बनी रहे। कश्मीर से कन्याकुमारी,पूरा भारत एक श्रृंखला माला का सुंदर मोती,हर एक भाग बना रहे। वीर शिवाजी, वीर सुभाष, सब ने चाहा प्यारा भारतभारत के हम वीर सेनानी राष्ट्रीय रक्षा में अधीर रहे।राजनीति की शुद्र …

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मंदी-प्रभाव -हिंदी कविता

मंदी-प्रभाव -हिंदी कविता महगाई की बड़ी आग में ,मंदी ने भी ली अंगड़ाई |टूटे सपने घटती आय, जनता रोती हाय हाय | स्कूलों के सुंदर सपने ,बड़ी फीस ने नींद हटाई |खर्चो के बड़ते बोझ से , दिल धड़कन बुझती जाय | रोजेगार के घटते अवसर , देश फेली खूब बेकारी |नेता चुप है , …

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भारत की शान तिरंगा हिंदी कविता

भारत की शान तिरंगा

भारत की शान तिरंगा – हिंदी कविता आजादी की शान तिरंगा,भारत की है जान तिरंगा।एकता की पहचान दिखाता,हर जीवन का मान तिरंगा भारत की शान तिरंगा । खून पसीने की कहानी लिखता,बलिदानों की याद तिरंगा,स्वाधीनता का उज्जवल प्रतीक,जीवन का हर गान तिरंगा गोल चक्र के 24 खाने,सावधानी का संदेश दिखाते,राष्ट्रप्रेम की उज्जवल यादें,सब धर्मों का …

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लड़का हू कमाना है-हिंदी कविता

लड़का हू कमाना है

लड़का हू कमाना है छोड़ चला घर का प्यार, निकल पड़ा नंगे पाँवन कोई ठौर न ठिकाना है, बस आगे बढ़ते जाना हैमन में इरादा है, कुछ कर के दिखाना हैलड़का हू कमाना है। माँ का प्यार दिल में लिए, ना सोचे ना समझेथैला लेकर निकल पड़ा, शहर की ओर चल पड़ाना दोस्त ना कोई …

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कमाने लगा-हिंदी कविता Hindi poem

कमाने लगा

कमाने लगा- हिंदी कविता / Hindi Poem अच्छा हुआ कमाने लगा,रिश्तेदार, दोस्त का खबर भी आने लगा।रुख हवा का ऐसा बदला,बेरोजगार से रोजगार हो गया।अच्छा हुआ कमाने लगा। पराया भी अपना कहने लगे,देश क्या विदेशो से भी फ़ोन आने लगे।गर्लफ्रेंड के पिता जी अदब से पेश आने लगे,बेटा कहकर बुलाने लगे।अच्छा हुआ कमाने लगा। घर-घर मेरी …

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भारतीय रेल

भारतीय रेल

भारतीय रेल- हिंदी कविता हरी झंडी देख दौड़ लगाती,लाल देख रुक जाती हूछुक – छुक करते आती हू,मंजिल तक पहुँचाती हू। कभी चलती, कभी रूकती,रंग – बिरंगे तस्वीर दिखाती हूझरना, पहाड़, हरियाली खेतो से गुजरती हू,सफर का आनंद दिलाती हू, आगे बढ़ते जाती हू। हिन्दू , मुस्लिम, सिख, ईसाई सबको साथ बैठाती हू,कभी मंदिर, कभी मस्जिद, …

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छाया जीवन में

छाया जीवन में

छाया जीवन में अपने पैर पर हम कुल्हाड़ी मारते जा रहे हैकाट रहे है हम उस बेजुबान कोजो हमारी सांसे चला रहे है । जिसने सिचा इस जीवन कोजिसने छाया दिया इस तन कोकाट दिया हमने उस वन कोजला दिया हमने उपवन को। पाप बहुत किये है हमनेशहर बसाने,जंगल जला दिया हमने।लालच में न सोचा …

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वो समय था यार का हिंदी कविता

वो समय था यार का

वो समय था यार का | दोस्त तेरे साथ जिंदगी निराली थीदोस्त तेरे साथ जिंदगी निराली थीना कल की फिकर ना गम का साया थातुमने ही तो जीना सिखलाया था| वक्त की कमी न थीना कल की फिकर ना गम का साया थाना कल की फिकर ना गम का साया थायारों की यारी में सब …

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परदेसिया-हिंदी कविता

परदेसिया ? वो कौन है जो ,गिर गटर मेंगंध शहर का धो रहा| ऊंची इमारतों से ,प्यास किसकाबनकर पसीना बह रहा| वो कौन है जो ,बोझा शहर काकंधे पे आपने ढोह रहा| बना आशियाना, वो शहर काखुद सड़क पर सो रहा| जूतों को ऐनक,कपड़ो की रौनक|सब्जी की मंडीबर्फ वो ठंडी| धुप बारिस ठण्ड में,वो कौन …

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मुसहरिन माँ हिंदी कविता

मुसहरिन माँ | धूप में सूप सेधूल फटकारती मुसहरिन माँ को देखतेमहसूस किया है भूख की भयानक पीड़ाऔर सूँघा मूसकइल मिट्टी में गेहूँ की गंध जिसमें जिंदगी का स्वाद है | चूहा बड़ी मशक्कत से चुराया है(जिसे चुराने के चक्कर में अनेक चूहों को खाना पड़ा जहर)अपने और अपनों के लिए | आह! न उसका …

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मेरे मुल्क की मीडिया

मेरे मुल्क की मीडिया | बिच्छू के बिल मेंनेवला और सर्प की सलाह परचूहों के केस की सुनवाई कर रहे हैं-गोहटा | गिरगिट और गोजर सभा के सम्मानित सदस्य हैंकाने कुत्ते अंगरक्षक हैंबहरी बिल्लियाँ बिल के बाहर बंदूक लेकर खड़ी हैं | टिड्डे पिला रहे हैं चाय-पानीगुप्तचर कौएं कुछ कह रहे हैंसाँड़ समर्थन में सिर …

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चिहुँकती चिट्ठी हिंदी कविता

चिहुँकती चिट्ठी | बर्फ़ का कोहरिया साड़ीठंड का देह ढंकलहरा रही है लहरों-सीस्मृतियों के डार पर| हिमालय की हवानदी में चलती नाव का घावसहलाती हुईहोंठ चूमती है चुपचापक्षितिज| वासना के वैश्विक वृक्ष परवसंत का वस्त्रहटाता हुआ देखता है| बात बात मेंचेतन से निकलती हैचेतना की भाप| पत्तियाँ गिरती हैं नीचेरूह काँपने लगती हैखड़खड़ाहट खत रचती …

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ऊख हिंदी कविता

ऊख  | प्रजा कोप्रजातंत्र की मशीन में पेरने सेरस नहीं रक्त निकलता है साहब| रस तोहड्डियों को तोड़नेनसों को निचोड़ने सेप्राप्त होता है| बार बार कई बारबंजर को जोतने-कोड़ने सेज़मीन हो जाती है उर्वर| मिट्टी में धँसी जड़ेंश्रम की गंध सोखती हैंखेत मेंउम्मीदें उपजाती हैं ऊख| कोल्हू के बैल होते हैं जब कर्षित किसानतब खाँड़ …

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मूर्तिकारिन-हिंदी कविता

मूर्तिकारिन | राजमंदिरों के महात्माओंमौन मूर्तिकार की स्त्री हूँ समय की छेनी-हथौड़ी सेस्वयं को गढ़ रही हूँ चुप्पी तोड़ रही है चिंगारी| सूरज को लगा है गरहनलालटेनों के तेल खत्म हो गए हैं चारो ओर अंधेरा हैकहर रहे हैं हर शहर समुद्र की तूफानी हवा आ गई है गाँवदीये बुझ रहे हैं तेजी सेमणि निगल …

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ईर्ष्या की खेती-हिंदी कविता

ईर्ष्या की खेती| मिट्टी के मिठास को सोखजिद के ज़मीन परउगी हैइच्छाओं के ईख| खेत मेंचुपचाप चेफा छिल रही हैचरित्रऔर चुह रही हैईर्ष्या| छिलके पर   मक्खियाँ भिनभिना रही हैं और द्वेष देख रहा है मचान से दूर बहुत दूर चरती हुई निंदा की नीलगाय | यह भी पढ़ें:-संघबद्वता-हिंदी कविता इस लेख के भीतर व्यक्त …

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किसान है क्रोध-हिंदी कविता

निंदा की नज़रतेज हैइच्छा के विरुद्ध भिनभिना रही हैंबाज़ार की मक्खियाँ| अभिमान की आवाज़ हैएक दिन स्पर्द्धा के साथचरित्र चखती है| इमली और इमरती का स्वादद्वेष के दुकान परऔर घृणा के घड़े से पीती है पानी| गर्व के गिलास मेंईर्ष्या अपनेइब्न के लिए लेकर खड़ी हैराजनीति का रस| प्रतिद्वन्द्विता के पथ परकुढ़न की खेती काकिसान …

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नया सवेरा – हिंदी कविता hindi poem

नया सवेरा – हिंदी कविता

नया सवेरा – हिंदी कविता / Hindi Poem काली बादलों से घिरी धरती फिर मुस्कुराएगीदोस्तों की खिलखिलाहट वादियों में गुंगुनायेगी |काली घटा कब तक सूर्य का ताप रोक पाएगीआत्मविश्वास से भरी दुनिया नया सवेरा लाएगी | माना दोस्तों का चियर्स, गुदगुदी कर जाता हैगोलगप्पे का स्वाद मन ललचाता है |माना भीड़ की शोर शांत सो …

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India

राह दिखाओ-हिंदी कविता

राम,कृष्ण अल्ला के बंदे लगी आग को शीघ्र बुझाओ| धुआँ देश के हर कोने में कैसीजिद कैसी कुर्बानी पनप रही अनबूझ समस्या सर से ऊपर बहता पानी मिट ना जाए अस्तित्व देश का ऐसी सहज तरकीब सुझाओ| Also Read:- https://www.fusebulbs.com/rajnetic-uthapatak/  शहर जल रहे उचित समय क्या  न्यायपालिका स्वयं अचंभित  नीति,अनीति प्रीति दोमुंही  देश का चिर …

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