परदेसिया-हिंदी कविता
परदेसिया ? वो कौन है जो ,गिर गटर मेंगंध शहर का धो रहा| ऊंची इमारतों से ,प्यास किसकाबनकर पसीना बह रहा| वो कौन है जो ,बोझा शहर काकंधे पे आपने ढोह रहा| बना आशियाना, वो शहर काखुद सड़क पर सो रहा| जूतों को ऐनक,कपड़ो की रौनक|सब्जी की मंडीबर्फ वो ठंडी| धुप बारिस ठण्ड में,वो कौन …