April 2021

hindi poem at fusebulbs.com

परदेसिया-हिंदी कविता

परदेसिया ? वो कौन है जो ,गिर गटर मेंगंध शहर का धो रहा| ऊंची इमारतों से ,प्यास किसकाबनकर पसीना बह रहा| वो कौन है जो ,बोझा शहर काकंधे पे आपने ढोह रहा| बना आशियाना, वो शहर काखुद सड़क पर सो रहा| जूतों को ऐनक,कपड़ो की रौनक|सब्जी की मंडीबर्फ वो ठंडी| धुप बारिस ठण्ड में,वो कौन …

परदेसिया-हिंदी कविता Read More »

hindi poem on fusebulbs.com

मुसहरिन माँ हिंदी कविता

मुसहरिन माँ | धूप में सूप सेधूल फटकारती मुसहरिन माँ को देखतेमहसूस किया है भूख की भयानक पीड़ाऔर सूँघा मूसकइल मिट्टी में गेहूँ की गंध जिसमें जिंदगी का स्वाद है | चूहा बड़ी मशक्कत से चुराया है(जिसे चुराने के चक्कर में अनेक चूहों को खाना पड़ा जहर)अपने और अपनों के लिए | आह! न उसका …

मुसहरिन माँ हिंदी कविता Read More »

hindi poem fusebulbs.com

मेरे मुल्क की मीडिया

मेरे मुल्क की मीडिया | बिच्छू के बिल मेंनेवला और सर्प की सलाह परचूहों के केस की सुनवाई कर रहे हैं-गोहटा | गिरगिट और गोजर सभा के सम्मानित सदस्य हैंकाने कुत्ते अंगरक्षक हैंबहरी बिल्लियाँ बिल के बाहर बंदूक लेकर खड़ी हैं | टिड्डे पिला रहे हैं चाय-पानीगुप्तचर कौएं कुछ कह रहे हैंसाँड़ समर्थन में सिर …

मेरे मुल्क की मीडिया Read More »

hindi poem fusebulbs.com

चिहुँकती चिट्ठी हिंदी कविता

चिहुँकती चिट्ठी | बर्फ़ का कोहरिया साड़ीठंड का देह ढंकलहरा रही है लहरों-सीस्मृतियों के डार पर| हिमालय की हवानदी में चलती नाव का घावसहलाती हुईहोंठ चूमती है चुपचापक्षितिज| वासना के वैश्विक वृक्ष परवसंत का वस्त्रहटाता हुआ देखता है| बात बात मेंचेतन से निकलती हैचेतना की भाप| पत्तियाँ गिरती हैं नीचेरूह काँपने लगती हैखड़खड़ाहट खत रचती …

चिहुँकती चिट्ठी हिंदी कविता Read More »

hindi poem fusebulbs.com

लकड़हारिन हिंदी कविता

लकड़हारिन | तवा तटस्थ है चूल्हा उदासपटरियों पर बिखर गया है भातकूड़ादान में रोती है रोटीभूख नोचती है आँतपेट ताक रहा है गैर का पैर | खैर जनतंत्र के जंगल मेंएक लड़की बिन रही है लकड़ी |जहाँ अक्सर भूखे होते हैंहिंसक और खूँखार जानवरयहाँ तक कि राष्ट्रीय पशु बाघ भी | हवा तेज चलती हैपत्तियाँ …

लकड़हारिन हिंदी कविता Read More »

hindi poem fusebulbs.com

ऊख हिंदी कविता

ऊख  | प्रजा कोप्रजातंत्र की मशीन में पेरने सेरस नहीं रक्त निकलता है साहब| रस तोहड्डियों को तोड़नेनसों को निचोड़ने सेप्राप्त होता है| बार बार कई बारबंजर को जोतने-कोड़ने सेज़मीन हो जाती है उर्वर| मिट्टी में धँसी जड़ेंश्रम की गंध सोखती हैंखेत मेंउम्मीदें उपजाती हैं ऊख| कोल्हू के बैल होते हैं जब कर्षित किसानतब खाँड़ …

ऊख हिंदी कविता Read More »

hindi poem fusebulbs.com

मूर्तिकारिन-हिंदी कविता

मूर्तिकारिन | राजमंदिरों के महात्माओंमौन मूर्तिकार की स्त्री हूँ समय की छेनी-हथौड़ी सेस्वयं को गढ़ रही हूँ चुप्पी तोड़ रही है चिंगारी| सूरज को लगा है गरहनलालटेनों के तेल खत्म हो गए हैं चारो ओर अंधेरा हैकहर रहे हैं हर शहर समुद्र की तूफानी हवा आ गई है गाँवदीये बुझ रहे हैं तेजी सेमणि निगल …

मूर्तिकारिन-हिंदी कविता Read More »

Hindi poem

ईर्ष्या की खेती-हिंदी कविता

ईर्ष्या की खेती| मिट्टी के मिठास को सोखजिद के ज़मीन परउगी हैइच्छाओं के ईख| खेत मेंचुपचाप चेफा छिल रही हैचरित्रऔर चुह रही हैईर्ष्या| छिलके पर   मक्खियाँ भिनभिना रही हैं और द्वेष देख रहा है मचान से दूर बहुत दूर चरती हुई निंदा की नीलगाय | यह भी पढ़ें:-संघबद्वता-हिंदी कविता इस लेख के भीतर व्यक्त …

ईर्ष्या की खेती-हिंदी कविता Read More »

hindi poem

किसान है क्रोध-हिंदी कविता

निंदा की नज़रतेज हैइच्छा के विरुद्ध भिनभिना रही हैंबाज़ार की मक्खियाँ| अभिमान की आवाज़ हैएक दिन स्पर्द्धा के साथचरित्र चखती है| इमली और इमरती का स्वादद्वेष के दुकान परऔर घृणा के घड़े से पीती है पानी| गर्व के गिलास मेंईर्ष्या अपनेइब्न के लिए लेकर खड़ी हैराजनीति का रस| प्रतिद्वन्द्विता के पथ परकुढ़न की खेती काकिसान …

किसान है क्रोध-हिंदी कविता Read More »