छाया जीवन में
छाया जीवन में अपने पैर पर हम कुल्हाड़ी मारते जा रहे हैकाट रहे है हम उस बेजुबान कोजो हमारी सांसे चला रहे है । जिसने सिचा इस जीवन कोजिसने छाया दिया इस तन कोकाट दिया हमने उस वन कोजला दिया हमने उपवन को। पाप बहुत किये है हमनेशहर बसाने,जंगल जला दिया हमने।लालच में न सोचा …