राम,कृष्ण अल्ला के बंदे
लगी आग को शीघ्र बुझाओ|
धुआँ देश के हर कोने में
कैसीजिद कैसी कुर्बानी
पनप रही अनबूझ समस्या
सर से ऊपर बहता पानी
मिट ना जाए अस्तित्व देश का
ऐसी सहज तरकीब सुझाओ|
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शहर जल रहे उचित समय क्या
न्यायपालिका स्वयं अचंभित
नीति,अनीति प्रीति दोमुंही
देश का चिर आदर्श है खंडित|
विश्व बंधुत्व के हम हैं अगुआ
जग जानो यह नीति निभाओ|
भारत अद्भुत देश महान
सभी हमारी ओर ताकते
देख धुआं दुश्मन खुश खुश है
हंस-हंसकर अलाव तापते|
क्रोध,घृणा,घमंड मिटे अब
कर्णधार को राहत दिखाओ
रामकृष्ण अल्लाह के बंदे
लगी आग को शीघ्र बुझाओ|
Excellent poem sir