जिंदगी का संघर्ष

हिंदी कविता - जिंदगी का संघर्ष

जिंदगी का संघर्ष-हिंदी कविता

जेब में फूटी कौड़ी नहीं,
ख्वाब है बड़े,
आसमाँ निहारता, जमीं हो जैसे।


आशा, निराशा के भँवर में,
संघर्षो से झूझते,
अपने आप को आगे बढ़ाते,
गांव की पगडंडियों से आगे निकल,
आया नई शहर।


शहरो की भीड़ ने मुझे डराया,
तू अकेला गुम हो जायेगा, ऐसा बताया,
भेड़ो की रेस में, पीछे न रह जाये,
ये कहकर चेताया।


मै भी जिद्दी, कहा मानता,
शहर की हवा को साफ-साफ बताया,
तेरी बातो में न आने वाला,
इन छोटी-मोटी, रोडो से न डरने वाला।


आता है मुझे हवा का रुख बदलना,
संघर्षो के सैलाब में गोता लगाना,
बिन खाये इस पेट ने रात गुजारी है,
ये जिंदगी संघर्षो से जूझते,
तेरे शहर को आयी है।


सौख नहीं, मजबूर होकर आया हूँ,
मै भी कुछ अरमान लाया हूँ।


सुना है, तू सबको रास्ता नहीं देती,
बिन मेहनत किसी को आगे बढ़ने नहीं देती,
एक काम कर मुझे भी दे एक काम,
चाहे लिखवा ले सारा वक़्त अपने नाम।

शम्भू कुमार की कलम से…

जिंदगी का संघर्ष
जिंदगी का संघर्ष-

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