छाया जीवन में
छाया जीवन में अपने पैर पर हम कुल्हाड़ी मारते जा रहे हैकाट रहे है हम उस बेजुबान कोजो हमारी सांसे…
There was a brilliant dialogue from the movie Dead poet society. It says “We read and write poetry because we are members of the human race. And the human race is filled with passion. And medicine, law, business, engineering, these are noble pursuits and necessary to sustain life. But poetry, beauty, romance, love, these are what we stay alive for”.
This category is for that purpose, for poetry, beauty, romance and love.
छाया जीवन में अपने पैर पर हम कुल्हाड़ी मारते जा रहे हैकाट रहे है हम उस बेजुबान कोजो हमारी सांसे…
वो समय था यार का | दोस्त तेरे साथ जिंदगी निराली थीदोस्त तेरे साथ जिंदगी निराली थीना कल की फिकर…
परदेसिया ? वो कौन है जो ,गिर गटर मेंगंध शहर का धो रहा| ऊंची इमारतों से ,प्यास किसकाबनकर पसीना बह…
मुसहरिन माँ | धूप में सूप सेधूल फटकारती मुसहरिन माँ को देखतेमहसूस किया है भूख की भयानक पीड़ाऔर सूँघा मूसकइल…
मेरे मुल्क की मीडिया | बिच्छू के बिल मेंनेवला और सर्प की सलाह परचूहों के केस की सुनवाई कर रहे…
चिहुँकती चिट्ठी | बर्फ़ का कोहरिया साड़ीठंड का देह ढंकलहरा रही है लहरों-सीस्मृतियों के डार पर| हिमालय की हवानदी में…
लकड़हारिन | तवा तटस्थ है चूल्हा उदासपटरियों पर बिखर गया है भातकूड़ादान में रोती है रोटीभूख नोचती है आँतपेट ताक…
ऊख | प्रजा कोप्रजातंत्र की मशीन में पेरने सेरस नहीं रक्त निकलता है साहब| रस तोहड्डियों को तोड़नेनसों को निचोड़ने…
मूर्तिकारिन | राजमंदिरों के महात्माओंमौन मूर्तिकार की स्त्री हूँ समय की छेनी-हथौड़ी सेस्वयं को गढ़ रही हूँ चुप्पी तोड़ रही…
ईर्ष्या की खेती| मिट्टी के मिठास को सोखजिद के ज़मीन परउगी हैइच्छाओं के ईख| खेत मेंचुपचाप चेफा छिल रही हैचरित्रऔर…