किसान है क्रोध-हिंदी कविता
निंदा की नज़रतेज हैइच्छा के विरुद्ध भिनभिना रही हैंबाज़ार की मक्खियाँ| अभिमान की आवाज़ हैएक दिन स्पर्द्धा के साथचरित्र चखती…
निंदा की नज़रतेज हैइच्छा के विरुद्ध भिनभिना रही हैंबाज़ार की मक्खियाँ| अभिमान की आवाज़ हैएक दिन स्पर्द्धा के साथचरित्र चखती…