स्वाभिमान की रोटी – हिंदी कविता
स्वाभिमान की रोटी | पैरो में बेड़िया है,कुछ मजबूरिया है,दिल के दर्द को समेट लिया मैंने,अपने आप को बंद कर…
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स्वाभिमान की रोटी | पैरो में बेड़िया है,कुछ मजबूरिया है,दिल के दर्द को समेट लिया मैंने,अपने आप को बंद कर…