किसान है क्रोध-हिंदी कविता
निंदा की नज़रतेज हैइच्छा के विरुद्ध भिनभिना रही हैंबाज़ार की मक्खियाँ| अभिमान की आवाज़ हैएक दिन स्पर्द्धा के साथचरित्र चखती…
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निंदा की नज़रतेज हैइच्छा के विरुद्ध भिनभिना रही हैंबाज़ार की मक्खियाँ| अभिमान की आवाज़ हैएक दिन स्पर्द्धा के साथचरित्र चखती…
नया सवेरा – हिंदी कविता / Hindi Poem काली बादलों से घिरी धरती फिर मुस्कुराएगीदोस्तों की खिलखिलाहट वादियों में गुंगुनायेगी…
यह सब का हिंदुस्तान है | पढ़ना लिखना बिना लक्ष्य केदौड़ लगाना बिना लक्ष्य के ,मात्र निरर्थक ज्ञान हैयह सब…